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व्याख्याकार
सद्गुरु अभिलाष साहेब
बीजक
प्रथम प्रकरण : रमैनी
Kabir Bijak Ramaini 7 in Hindi | कबीर बीजक रमैनी – 7
तहिया होते पवन नहिं पानी।
तहिया सृष्टि कौन उत्पानी।।१।।
तहिया होते कली नहिं फूला।
तहिया होते गर्भ नहिं मूला।।२।।
तहिया होते विद्या नहिं वेदा।
तहिया होते शब्द नहिं स्वादा।।३।।
तहिया होते पिण्ड नहिं बासू।
नहिं धर धरणि न पवन अकाशू।।४।।
तहिया होते गुरु नहिं चेला।
गम्य अगम्य न पन्थ दुहेला।।५।।
साखी
अविगति की गति का कहो, जाके गाँव न ठाँव।
गुण बिहूना पेखना,
का कहि लीजै नाँव।।७।।
Kabir Bijak Ramaini 7 in Hindi | कबीर बीजक रमैनी – 7 के शब्दार्थ
तहिया = सृष्टि के प्रथम। गम्य = सरल। अगम्य = कठिन । दुहेला = कठिन, दो। अविगति = आज्ञात।
प्रसंग – सृष्टि अनादि तथा अनंत है।
Kabir Bijak Ramaini 7 in Hindi | कबीर बीजक रमैनी – 7 का भावार्थ
उस समय वायु और जल नहीं थे तो सृष्टि किसने बना दी ? उस समय न कली थी न फूल, न गर्भ था न उसका मूल वीर्य, उस समय न विद्या थी न वेद, न शब्द था न स्वाद। न तो तब शरीर था और न उसमें जीव का निवास। उस समय न पर्वत, न पृथ्वी, न हवा थी न आकाश। उस समय गुरु और शिष्य भी नहीं थे। उस समय सरल और कठिन—दोनों मार्ग भी नहीं थे ।। १-५ ।।
फिर जिसका पता-मुकाम कुछ नहीं है उस अज्ञात की बातें क्यां करते हो ? इस गुणविहीन दर्शन में कर्ता-कारण के क्या नाम कहोगे ? ।।७।।