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व्याख्याकार
सद्गुरु अभिलाष साहेब
प्रथम प्रकरण : रमैनी
Kabir Bijak Ramaini 8 in Hindi | कबीर बीजक रमैनी 8
तत्त्वमसि इनके उपदेशा।
ई उपनिषद कहैं सन्देशा।।१।।
ई निश्चय इनके बड़भारी।
बाहिक वर्णन करें अधिकारी।।२।।
परमतत्त्व का निज परमाना।
सनकादिक नारद शुक माना।।३।।
याज्ञवल्क्य औ जनक सम्बादा।
दत्तात्रेय वोहि रस स्वादा।।४।।
वोहि बात राम बसिष्ठ मिलिगाई।
वोहि बात कृष्ण उध्दव समुझाई।।५।।
वोहि बात जो जनक दृढ़ाई।
देह धरे विदेह कहाई।।६।।
साखी
कुल मर्यादा खोय के, जीवत मुवा न होय।
देखत जो नहिं देखिया,
अदृष्ट कहावै सोय।।८।।
Kabir Bijak Ramaini 8 in Hindi | कबीर बीजक रमैनी 8 के शब्दार्थ
तत्त्वमसि = वह तू है। इनके = अद्वैत वेदांतियों के। अधिकारी = योग्य पात्र । परमतत्त्व = सर्वोच्च सत्यता, ब्रह्म। परमाना = सत्य।
प्रसंग – तत्त्वमसि-विचार
Kabir Bijak Ramaini 8 in Hindi | कबीर बीजक रमैनी 8 का भावार्थ
वह-तू-है। यही इनके उपदेश हैं। उपनिषद यही संदेश देते हैं।।१।।
इनको इसका बड़ा-भारी निश्चय है। अधिकारी सत्यपात्र मिलने पर ये इसी की व्यख्या करते हैं।।२।।
यही इनका प्रमाणिक परमतत्त्व है। सनक, सनंदन, सनातन, सनत्कुमार, नारद, शुकदेव आदि ने इसी सिद्धांत को माना है।।३।।
याज्ञवल्क्य और जनक का संवाद इसी पर हुआ है। दत्तात्रेय जी ने इसी का रसास्वादन किया है।।४।।
राम और बसिष्ठ ने परस्पर इसी बात पर बहस की है। इसी बात को कृष्ण ने उध्दव को समझाया है।।५।।
जनक को इसी बात का निश्चय कराया गया है। वे देह में रहते हुए भी विदेह कहलाये हैं।।६।।
परन्तु केवल कुल की मर्यादा छोड़ देने से कोई जीते जी मुरदा नहीं हो जायेगा। जो देखते हुए भी अनदेखा करता है, वह विवेक नेत्रों से रहित ही कहलायेगा ।।७।।
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