Kabir Bijak Ramaini 9 in Hindi कबीर बीजक रमैनी 9

व्याख्याकार
सद्गुरु अभिलाष साहेब

प्रथम प्रकरण : रमैनी

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Kabir Bijak Ramaini 9 in Hindi | कबीर बीजक रमैनी – 9

बाँधे अष्ट कष्ट नौ सूता।
यम बाँधे अँजनी के पुता।।१।।
यम के बाहन बाँधे जनी।
बाँधे सृष्टि कहाँ लौं गनी।।२।।
बाँधेउ दैव तैंतीस करोरी।
सँबरत लोह बन्द गौ तोरी।।३।।
राजा सम्बरे तुरिया चढ़ी।
पन्थी सँबरे नाम ले बढ़ी।।४।।
अर्थ बिहुना सँबरे नारी।
परजा सँबरे पुहुमी झारी।।५।।

साखी
बन्दि मनावै ते फल पावै, बन्दि दिया सो देय।
कहैं कबीर सो ऊबरै,
जो निशिबासर नामहिं लेय।।९।।

Kabir Bijak Ramaini 9 in Hindi कबीर बीजक रमैनी 9 के शब्दार्थ 

रस्सी, बन्धन। अंजनी = माया। जनी = पैदा हुई सृष्टि। सम्बरत = स्मरण करते। राजा = ब्रह्मज्ञानी।

प्रसंग – स्वयं बंधे देवताओं की उपासना से बन्धन नहीं कटेगा

Kabir Bijak Ramaini 9 in Hindi कबीर बीजक रमैनी 9 का भावार्थ

कष्टदायी आठ-नौ रस्सियों में जीव बंधे हैं। वासना ने माया के गुलामों को बांध लिया है।।१।।

वासना के हाथों सभी देहधारी बंधे हैं। कहां तक गिनाऊँ सारी सृष्टि ही बंधी है ।।२।।

सांसारियों को जिनके स्मरण से कठिन बन्धन के टूट जाने का भरोसा है, वे तैंतीस करोड़ देवता स्वयं बंधे हैं।।३।।

ब्रह्मज्ञानी जन तुरिया अवस्था पर चढ़कर अहं ब्रह्मास्मि का स्मरण करते हैं और नाना संप्रदाय के लोग अपने-अपने मान्य नाम का स्मरण करते हुए अपने साधना-पथ में बढ़ रहे हैं।।४।।

अपने में नारीत्व की कल्पना कर माधुर्यभक्ति करने वाले धनादि की कामना से रहित होकर केवल कल्पित पति की प्राप्ति के लिए उसका स्मरण करते हैं। इस प्रकार पृथ्वी की पूरी प्रजा किसी-न-किसी प्रकार किसी देवता की पूजा एवं स्मरण-वन्दन करती है।।५।।

जो बंधे हुए की वन्दना करेगा, वह फल में बन्धन ही पायेगा, क्योंकि बंधा हुआ बन्धन ही दे सकता है। गुरु कहते हैं कि उपासकों की यही धारणा है कि जो रात-दिन नाम जपेगा वही संसार से पार होगा।।९।।

अथवा वंदि का अर्थ यदि वन्दना माना जाय तो अर्थ होगा कि जो वन्दना कर भगवान को प्रसन्न करेगा वही मुक्ति पायेगा ; क्योंकि जिसने बन्धन दिया वही मुक्ति दे सकता है। तुम्ही ने दर्द दिया, तुम्ही दवा देना। अतः रात-दिन नाम जपने वाला ही उद्धार पायेगा ( यह उपासकों का मत है )।

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